Monday, August 10, 2009

खुशी


आज मुझे आसमान भर खुशी मिली।
जिसमें मैं और सिर्फ़ मेरा शाहिद नज़र आए मैं हमेशा यही चाहूंगी....
काश खुदा ऐसा कर दे।
रुबीना फातिमा "रोज़ी"

ग़म


आज हम दोनों ग़म में हैं न जाने क्यूँ



रोज़ी
रोजी बहुत "प्यारी" है मगर बहुत बेदर्द।

रोज़ी

Tuesday, July 21, 2009

मेरी खुशी

हाँ, थी
मुझे बेइंतिहा मुहब्बत
अपने नाम से
लगता था की मीठा सा
मगर अब
नफरत घुलने लगी है उसमें।

शाहिद "अजनबी"

Monday, July 20, 2009

"हमारी दुनिया भी क्या दुनिया है की हम अपनी आंखों के सामने अपनी दुनिया लुटते हुए देख रहे हैं। अजीब बात है तुम्हारा दिल भी कैसे गवारा करता है की तुम ख़ुद बखुशी अपनी ससुराल के लिए शोपिंग करो"
- रुबीना फातिमा "रोजी"