मेरी जान, सिर्फ मेरी रोजी आज शायद पहली बार तुम्हें जान लफ्ज़ लिख रहा हूँ. कोई मुझे इस कदर मुहब्बत भी कर सकता है मैंने ज़िन्दगी में कभी भी एक पल को नहीं सोचा था. कोई मेरी इतनी तहे दिल से इज्ज़त भी बख्शेगा.. खुदा हमारे प्यार की उम्र लम्बी करे.. और तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार ही प्यार दे.....बस प्यार और सिर्फ प्यार..
तुम्हार और सिर्फ तुम्हारा मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
मेरी जान,
ReplyDeleteसिर्फ मेरी रोजी
आज शायद पहली बार तुम्हें जान लफ्ज़ लिख रहा हूँ. कोई मुझे इस कदर मुहब्बत भी कर सकता है मैंने ज़िन्दगी में कभी भी एक पल को नहीं सोचा था.
कोई मेरी इतनी तहे दिल से इज्ज़त भी बख्शेगा..
खुदा हमारे प्यार की उम्र लम्बी करे.. और तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार ही प्यार दे.....बस प्यार और सिर्फ प्यार..
तुम्हार और सिर्फ तुम्हारा
मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"